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उत्तर प्रदेश चुनावी गणित में देश का अनोखा , उलझन भरा राज्य रहा है, यहाँ की राजनीती में कब क्या हो जाये पता नहीं, यहाँ की मुश्लिम आबादी सभी चुनावो में निर्णायक और दबाव में होती है बाबरी मस्जिद पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता का बयान देने वाले मुलायम सिंह कट्टर भाजपाई रहे कल्याण सिंह को अपनी गोद में बैठा लेते है , फिर निकाल देते है, कांग्रेस के राजीव गाँधी के शासन में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद का वर्षो से बंद पड़ा ताला वोट बनाने के लिए खोला जाता है और राव के समय विवादित ढांचा गिरा दिया जाता है मायावती बीजेपी के साथ दो बार सत्ता का सुख लूट चुकी है ऐसे में मुस्लिम क्या करे? अगर बीजेपी मुस्लिमो की दोषी है तो इन तीनो दलो ने भी उनके साथ कोई न्याय नहीं किया ऐसे में इस बार का चुनाव कुछ अलग है अब मुश्लिमो को बीजेपी के विरोध के नाम पर किसी भी पार्टी को वोट देने का दबाव नहीं है प्रदेश में सत्ता से दूर दिखाई दे रही बीजेपी से अब मुस्लिमो को कोई भय नहीं है यही बात इन कथित धर्म निपेक्ष दलो को परेशान कर रही है क्योकि मुश्लिमो को आक्रामक किये बगैर इनको सत्ता दूर दिखाई दे रही है सच ये है कि मुश्लिम इस बार दिल से नहीं दिमाग से वोट करेंगे और वो सभी दलो को मिलेगा ऐसे में त्रिशंकु परिणाम आयेंगे इसमें सपा बढ़ी तो कांग्रेस रालोद कि मजबूरी उसकी सरकार बनाने की होगी यदि बसपा बढ़ी तो और बीजेपी की सत्तर से नब्बे सीट आ गई तो मुलायम को रोकने के लिए माया बीजेपी की सरकार बनवा सकती है जो दिखाई दे रहा है, उधर यदि उत्तराखंड में बीजेपी को मायावती की जरुरत पड़ी तो यूपी में बीजेपी मायावती को समर्थन दे सकती है यही होता दिखाई दे रहा है यानि मध्य प्रदेश ना सही उत्तर प्रदेश ही सही उमा भारती यूपी की अगली मुख्यमंत्री बन सकती है… हो सकता है बहुत से समीक्षक मेरी समीक्षा से सहमत न हो ….. लेकिन मुझे यही होता नज़र आ रहा है …
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